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रक्तचाप हमारे शरीर की धमनियों में रक्त के बहाव से उत्पन्न होने वाला दाब होता है। जब यह दबाव सामान्य सीमा से अधिक हो जाता है, तो इसे उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहा जाता है। यह एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या है, जो अगर लंबे समय तक अनियंत्रित रहे, तो हृदय रोग, स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारी जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है।
भारत में बड़ी संख्या में लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, लेकिन उनमें से कई को इसके लक्षणों की जानकारी नहीं होती। समय रहते इसके लक्षणों और हाइपरटेंशन के कारण को पहचानना और नियंत्रण करना बेहद आवश्यक है।
उच्च रक्तचाप को अक्सर “Silent Killer” कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के बढ़ता है। लेकिन कुछ लोगों में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
उपरोक्त हाइपरटेंशन के कारण को समझकर उनकी रोकथाम की दिशा में कदम उठाना बेहद जरूरी है।
हृदय संबंधी स्वास्थ्य के लिए उच्च रक्तचाप की रोकथाम एक प्राथमिकता होनी चाहिए। निम्नलिखित 6 आसान और प्रभावी उपाय आपको इस दिशा में मदद करेंगे:
फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों में पोटैशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं जो रक्तचाप को कम करने में सहायक हैं। पालक, केला, गाजर, चुकंदर, ब्रोकली और टमाटर जैसे खाद्य पदार्थ नियमित आहार में शामिल करें। पोटैशियम शरीर में सोडियम के प्रभाव को संतुलित करता है जिससे उच्च रक्तचाप की रोकथाम होती है।
साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, जौ और क्विनोआ फाइबर से भरपूर होते हैं, जो न केवल पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं बल्कि कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को भी नियंत्रित करते हैं। ये हृदय की रक्षा में सहायक हैं और हाइपरटेंशन के कारण को दूर करने में मदद करते हैं।
घी, मक्खन, और डीप फ्राई खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन धमनियों को संकुचित करता है जिससे रक्तचाप बढ़ता है। ऐसे में बेहतर है कि कम वसा वाले डेयरी उत्पादों और ताजे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
चिकन, मछली, अंडे की सफेदी और दालें अच्छी प्रोटीन के स्रोत हैं। इनका सेवन रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक होता है। रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट से बचें क्योंकि इनमें संतृप्त वसा की मात्रा अधिक होती है, जो उच्च रक्तचाप के कारण बन सकते हैं।
अत्यधिक नमक का सेवन हाइपरटेंशन के कारण में सबसे प्रमुख है। WHO के अनुसार, एक दिन में 5 ग्राम से कम नमक का सेवन करना चाहिए। पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड्स में छिपा हुआ नमक भी रक्तचाप को बढ़ा सकता है, इसलिए लेबल पढ़कर ही कोई उत्पाद खरीदें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट्स, रक्तचाप को घटाने में मदद करते हैं। इनके लिए मछली (जैसे सैल्मन), अखरोट, अलसी के बीज और जैतून के तेल को अपने आहार में शामिल करें। ये धमनियों को लचीला बनाए रखते हैं और उच्च रक्तचाप की रोकथाम में मददगार हैं।
जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ कभी-कभी चिकित्सकीय इलाज की आवश्यकता भी होती है। यदि आपको लगातार उच्च रक्तचाप की समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार दवाएं और उपचार सुझाव देते हैं।
हमारे विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट SN Hospitals की कार्डिएक साइंसेज यूनिट में मरीजों की व्यक्तिगत आवश्यकता के अनुसार इलाज प्रदान करते हैं। नियमित जांच, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और डॉक्टर की सलाह अनुसार दवा लेना, इस समस्या से निपटने में बेहद जरूरी है।
उच्च रक्तचाप एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय स्थिति है। सही आहार, सक्रिय जीवनशैली, नमक की मात्रा पर नियंत्रण और समय-समय पर चिकित्सा सलाह लेने से आप इस समस्या से बच सकते हैं। यदि आप या आपके किसी प्रियजन को उच्च रक्तचाप के कारण चिंता है, तो आज ही हमारे अनुभवी डॉक्टरों से परामर्श लें।
आप अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं या किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें। आपकी हृदय स्वास्थ्य की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।
उच्च रक्तचाप के शुरुआती लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, थकान, छाती में भारीपन और धुंधला दिखना शामिल हो सकते हैं। कई बार यह बिना लक्षणों के भी होता है, इसलिए नियमित जांच जरूरी है।
हाँ, कई मामलों में रक्तचाप को जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपायों से नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे – कम नमक खाना, व्यायाम, वजन नियंत्रित रखना और तनाव कम करना।
लहसुन, मेथी के दाने, तुलसी के पत्ते, और अश्वगंधा जैसे आयुर्वेदिक उपाय उपयोगी हो सकते हैं। साथ ही दिनचर्या में योग और प्राणायाम जोड़ना भी लाभदायक होता है।
तेज चलना, साइकलिंग, योगासन (जैसे शवासन, भ्रामरी), और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में बेहद असरदार मानी जाती हैं।
जी हाँ, मानसिक तनाव और नींद की कमी से रक्तचाप बढ़ सकता है। तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन, समय पर नींद और अच्छा खानपान जरूरी है।
अधिक नमक, प्रोसेस्ड फूड, तले-भुने खाद्य पदार्थ, अत्यधिक कैफीन और शराब से बचना चाहिए। इसके स्थान पर फल, सब्ज़ियाँ, ओमेगा-3 युक्त चीज़ें लेना लाभदायक होता है।
अगर आप हाई BP या लो BP से ग्रस्त हैं, तो घर पर नियमित BP मॉनिटर करना बहुत जरूरी है। इससे स्थिति का बेहतर प्रबंधन संभव होता है।